मथुरा के जैत गाँव की तुलसी माला आस्था से आत्मनिर्भरता तक

जहाँ आस्था में बसी है मिट्टी की खुशबू वहीं खिली है तुलसी की माला की महिमा

उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद का एक छोटा सा गाँव — जैत गाँव — अब विशिष्ट पहचान बना चुका है। यहाँ की पावन धरती से गुँथी तुलसी की मालाएँ न केवल देशभर में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुँची हैं। यह सिर्फ एक माला नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, आस्था, स्वास्थ्य एवं स्वावलंबन का जीवंत प्रतीक है। यहाँ की तुलसी माला विश्वभर में प्रसिद्ध हो चुकी है।

तुलसी की माला है आस्था का प्रतीक

पुराणों के अनुसार तुलसी को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। लोकमान्यता है कि तुलसी की माला धारण करने से

मन को शांति मिलती है,

नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है,

तथा लोक विश्वास के अनुसार हृदय रोग और स्वसन संबंधी समस्याओं में लाभ होता है।

हालाँकि यह मान्यताएँ धार्मिक और पारंपरिक विश्वास पर आधारित हैं।

जैत गाँव तुलसी माला से बन रहा है स्वरोजगार का केंद्र

तुलसी माला निर्माण ने जैत गाँव की सैकड़ों महिलाओं और पुरुषों को रोजगार उपलब्ध कराया है। माला निर्माण के कार्य ने स्थानीय लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाया है।

गाँव की गलियों में तुलसी की भीनी भीनी सुगंध फैलती है, जहाँ रंग-बिरंगे धागों में मेहनत की माला गुँथती है।

पर्यटन और अनुभव आस्था की धरती पर संस्कृति का स्पर्श

अब जैत गाँव न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि एक आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित हो रहा है।

विश्व बैंक द्वारा प्रायोजित परियोजना के अंतर्गत यहाँ के पारंपरिक कार्य को वैश्विक मंच पर पहुँचाने का प्रयास हो रहा है। स्थानीय लोगों का आर्थिक उत्थान एवं सांस्कृतिक पहचान को मजबूती देने के लिए अनेक योजनाएँ चलाई जा रही हैं।

माला निर्माण परंपरा बढ़ रही है भविष्य की ओर

तुलसी की माला बनाना एक पारंपरिक कला है, जिसे आज भी स्थानीय कारीगर पीढ़ियों से संरक्षित करते आ रहे हैं। जैत गाँव के लोग अपने परिश्रम और हुनर से न केवल परिवारों का भरण-पोषण कर रहे हैं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत को भी जीवित रखे हुए हैं।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीयता की महक

आज जैत गाँव की तुलसी माला ने देश ही नहीं, विदेशों में भी अपनी पहचान बना ली है। विदेशों से आने वाले पर्यटक इस गाँव के पारंपरिक हस्तशिल्प से प्रभावित हो रहे हैं।

यहाँ तुलसी माला के विविध स्वरूपों को देखकर भारतीय संस्कृति की आत्मा को महसूस किया जा सकता है।

जैत गाँव की तुलसी माला न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान की मिसाल भी है।

यह गाँव दिखाता है कि परंपरा, परिश्रम और आत्मनिर्भरता मिलकर किस तरह एक छोटे से गाँव को वैश्विक पहचान दिला सकते हैं।

एक माला, एक संदेश

तुलसी की भीनी भीनी खुशबू, माला गुँथती मेहनतकश हथेलियाँ, और गाँव की आत्मीयता — जैत गाँव में हर कदम पर एक नई अनुभूति आपका इंतजार कर रही है।

यदि आप भारतीय संस्कृति के जीवंत रंगों को करीब से देखना चाहते हैं,

यदि आप आस्था, शिल्प और स्थानीय जीवनशैली को महसूस करना चाहते हैं,
तो एक बार जैत गाँव अवश्य आइए।

यहाँ तुलसी की माला में गुँथी हुई श्रद्धा और श्रम आपको एक अद्भुत अनुभव से जोड़ देगी —

ऐसा अनुभव जो आपको बार-बार यहाँ लौट आने के लिए प्रेरित करेगा।

आज ही अपनी यात्रा की योजना बनाइए और जैत गाँव की सजीव संस्कृति का हिस्सा बनिए।

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