‘देश का दिल’ उत्तर प्रदेश खूबसूरती के मामले में भी उतना ही लोकप्रिय है। प्रदेश में मानसून का मौसम जुलाई से सितंबर तक रहता है। बारिश के दिनों में प्रदेश के कई ऐसे स्थल हैं, जहां का नजारा पर्यटकों को खासा आकर्षित करता है। मानसून साल का ऐसा मौसम होता है, जिसका आनंद लेने लोग घरों से निकलते हैं। परिवार के साथ सुकून के पल बिताने पहाड़ों की ओर कदम बढ़ाते हैं। हालांकि, वर्षा के दिनों में पहाड़ों की यात्रा सुरक्षित नहीं होता। ऐसे में अगर आप रिमझिम बारिश का मजा लेना चाहते हैं तो उत्तर प्रदेश की कुछ जगहों पर घूमने जा सकते हैं।
मानसून के मौसम में बुंदेलखंड क्षेत्र का नजारा मनोरम हो जाता है। चारों ओर हरियाली आंखों को सुकून देती है। पर्यटक, शहर के शोर से दूर प्रकृति की गोद में नैसर्गिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं। आसमान में उमड़ते-घुमड़ते बादलों और हरे-भरे पेड़-पौधों के बीच प्राचीन स्मारक, किले, बांध और दर्शनीय स्थल आगंतुकों को खूब लुभाते हैं। यह मौसम फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए एक अवसर प्रदान करता है।
बुंदेलखंड सर्किट में कई पर्यटन स्थल
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन की दृष्टि से 12 टूरिस्ट सर्किट में बांटा है। इन्हीं में से एक है ‘बुंदेलखंड सर्किट’। बुंदेलखंड सर्किट में झांसी, देवघर, कालिंजर, ललितपुर, चित्रकूट, कल्पी, महोबा और बरुआ सागर जैसे कई टूरिस्ट डेस्टिनेशन हैं। मानसून के समय इन जगहों की सफर एक सुखद अनुभव हो सकता है। बुंदेलखंड क्षेत्र में सबसे ज्यादा बरसात जुलाई और अगस्त माह में होती है। इस दौरान पर्यटकों की बड़ी संख्या अलग-अलग टूरिस्ट डेस्टिनेशन की सैर करना पसंद करती है।
देश-विदेश से आते हैं लाखों पर्यटक
बुंदेलखंड आमतौर पर पहाड़ों के बीच बंजर क्षेत्र के रूप में नजर आता है। मगर, बरसात के दिनों में यहां खुशहाली छा जाती है। प्राचीन समय में यहां राजा और ऋषि-मुनि आते थे, लेकिन अब ये जगह नए पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है। हर वर्ष देश-विदेश से लाखों पर्यटक यहां की प्राकृतिक छटा का आनंद उठाने आते हैं। सामान्य दिनों में बुंदेलखंड ट्रिप में आपको बंजर पहाड़ियां, जंगल और गहरे नाले देखने को मिलेंगे, लेकिन मानसून में यहां नदियों में कल-कल करती पानी की धारा आपका मन मोह लेगी। चारों तरफ हरियाली और पानी से भरे डैम पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
झांसी: ‘बुंदेलखंड का प्रवेश द्वार’
झांसी को ‘बुंदेलखंड का गेटवे’ कहा जाता है। यात्रा की शुरुआत के लिए यह प्राचीन शहर सबसे मुफीद है। झांसी बुंदेली रीति-रिवाजों, परंपराओं और सांस्कृतिक मानदंडों के साथ स्वयं की एक अलग पहचान दर्शाती है। झांसी में रानी लक्ष्मी बाई का ऐतिहासिक किला है। बरसात में ठंडी हवाएं और बारिश की बूंदें आपके तन-मन को सराबोर कर देंगी। झांसी किला का लॉन, रानी महल आदि दर्शनीय है। महारानी लक्ष्मीबाई पार्क में हर शाम लाइट एंड साउंड शो होता है। गणेश मंदिर, स्टेट म्यूजियम भी आकर्षण के अन्य केंद्र हैं। चंदेल राजाओं से जुड़ी स्मृतियां और कई दर्शनीय स्थल हैं।
जलाशयों की दुनिया के दर्शन
घुमक्कड़ी के शौकीन झांसी से निकलते ही महोबा रोड पर आगे बढ़ते ही 9वीं सदी में निर्मित ‘जराई का मठ’ अवश्य देखें। ख्यातिप्राप्त इस मंदिर में शक्ति की अराधना होती है। इसी मार्ग पर सफर करते वक़्त आपको खूबसूरत बरुआ सागर झील और किला देखने को मिलेगा। यहां से कुछ दूर और आगे जाने पर जलाशयों की अनोखी दुनिया के दर्शन होंगे। यहां पहुज डैम, परीछा डैम, तालबेहट तथा माताटीला डैम का निर्मल जल आपको सुकून देगा।
ललितपुर: किला, मंदिर और इतिहास से साक्षात्कार
बुंदेलखंड का ललितपुर जिला विभिन्न पर्यटन स्थलों से परिपूर्ण है। झांसी से तकरीबन 120 किलोमीटर दूर ललितपुर के पहाड़ी इलाके के पास बेतवा नदी के किनारे यानी देवघर स्थित है। देवघर में पांडव वन है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पांडवों ने यहां वनवास काटा था। देवघर गुप्त स्मारकों के लिए भी जाना जाता है। हिंदू और जैन मूल के कई प्राचीन स्मारक किले की दीवारों के अंदर और बाहर हैं। देवघर से कुछ किलोमीटर दूर महावीर स्वामी सेंचुरी है। इसके पास ही गुप्तकालीन दशावतार मंदिर भी है। देवघर के करीब एक पहाड़ी पर 31 जैन मंदिर हैं। ये मंदिर 9वीं सदी में बने थे। पहाड़ी के पास एक जंगल है, जहां सिद्धि गुफा है। बेतवा नदी घाटी के पास मचकुंद गुफा चर्चित पर्यटन स्थल है। ललितपुर में दरगाह हजरत सदन शाह और छत्रपाल जैन मंदिर देखने लायक जगह है। मानसून के मौसम में इन स्थलों पर घूमने-फिरने वालों की अच्छी भीड़ उमड़ती है।
महोबा: वीरों की भूमि
बुंदेलखंड के वीर आल्हा-ऊदल की धरती महोबा अपने समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। झांसी से करीब 140 किलोमीटर दूर यह शहर बारिश के दिनों में आपका मन मोह लेगी। हर तरफ हरियाली, छोटी पहाड़ियां और झिलमिल करती झीलें सम्मोहित करती हैं। चंदेलों की राजधानी महोबा अपने सफल वॉटर मैनेजमेंट सिस्टम की वजह से अलग पहचान रखता है। महोबा में शैव, बौद्ध एवं जैन संस्कृतियां पुष्पित और पल्लवित हुईं। उसकी छाप यहां की जीवनशैली में साफ झलकती है। पहाड़ी पर स्थित महोबा फोर्ट पर्यटकों का मुख्य आकर्षण है। शिव तांडव मंदिर, चंदेलों की बैठक, चंद्रिका देवी मंदिर, 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाएं, काल भैरव, कीरत सागर झील, राहिला सागर सूर्य मंदिर, खखरा मठ, मदन सागर झील, विजय सागर पक्षी अभ्यारण्य, गोरख पर्वत सहित कई अन्य पर्यटन स्थल महोबा की शान हैं। मानसून के मौसम में ये पर्यटन के लिए बेस्ट डेस्टिनेशन हैं।
कालिंजर का किला
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में स्थित है कालिंजर दुर्ग। मानसून के सुहाने मौसम में यहां की यात्रा किसी भी पर्यटक के लिए यादगार बन सकती है। ठंडी हवा के झोंके, बादलों की लुकाछिपी के बीच कालिंजर किले की यात्रा रोमांच पैदा करता है। झांसी से करीब 280 किलोमीटर दूर स्थित कालिंजर किला की गिनती भारत के सबसे विशाल और अपराजेय दुर्गों में होती है। इस किले में शिवलिंग और देवी-देवताओं की मूर्तियां पत्थरों पर उकेरी गई हैं। किले में कई प्राचीन मंदिर हैं। इनमें अधिकांश तीसरी से पांचवीं सदी गुप्त काल के हैं।
चित्रकूट: शांति, सुकून और पौराणिकता का केंद्र
मानसून के दिनों में विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं और घने वनों से घिरा खूबसूरत जिला चित्रकूट, घरेलू और बाहरी दोनों तरह के पर्यटकों की पहली पसंद है। पौराणिकता से भरे इस स्थल पर पहाड़, झरने, मंदिर सहित कई आध्यात्मिक केंद्र हैं। चित्रकूट का शाब्दिक अर्थ है ‘कई आश्चर्यों की पहाड़ी’। आध्यात्मिक ऊर्जा और सुकून की तलाश में लोग यहां आते हैं। बारिश के दिनों में चित्रकूट की दिव्यता, शांति और आध्यात्मिकता चरम पड़ होती है। चित्रकूट का तुलसी वॉटरफॉल, राघव वॉटरफॉल, रामघाट, प्रमोद वन, परानू बाबा वाटरफॉल परिवार के साथ घूमने का बेस्ट डेस्टिनेशन है। मगर, थोड़ी सावधानी भी बरतने की आवश्यकता रहती है। यहां के अन्य लोकप्रिय स्थलों में गुप्तगोदावरी की गुफा जहां जानकी कुंड और राजापुर, महर्षि बाल्मीकि आश्रम स्थान आदि हैं।
उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र मानसून के दिनों में कुछ ज्यादा ही आकर्षक हो जाता है। चारों तरफ हरियाली के बीच पर्यटन का मजा कई गुना बढ़ जाता है। ऐतिहासिकता, आध्यात्मिकता समेटे यह पूरा इलाका देशी-विदेशी पर्यटकों को लुभाता है। अगर, आप भी परिवार या दोस्तों के साथ शांति की तलाश में प्रकृति का आनंद लेना चाहते हैं तो एक बार बुंदेलखंड की यात्रा अवश्य करें।