*By Sangye Thrinley, Buddhist Monk*
As a long-time inhabitant and Buddhist monk in Sarnath, I have had the opportunity to observe an intriguing trend: the growing number of non-Buddhist visitors to our revered site. While Sarnath is of great importance to Buddhists as the location where Buddha delivered his first sermon, I have noticed that its allure reaches well beyond the confines of our religion. Here, I will share my thoughts on why non-Buddhists are attracted to this sacred place.
Historical Importance
Numerous visitors arrive at Sarnath motivated by a desire for historical understanding. The site’s extensive history, which dates back to the 3rd century BCE, fascinates history buffs. I frequently witness the amazement in their expressions as they look at the Ashoka Pillar or the impressive Dhamek Stupa. These structures are not merely religious landmarks; they are symbols of India’s architectural and cultural legacy. A professor from England once remarked to me, “Standing here, I can almost sense the weight of history. It’s like connecting with the past.”
Architectural Wonders
The architectural beauty of Sarnath consistently astonishes our guests. The Dhamek Stupa, which stands at 43.6 meters, often leaves visitors in admiration of ancient engineering prowess. I recall a group of architecture students who dedicated hours to analyzing its design, marveling at how it has endured through time. For many, these monuments signify more than just religious icons; they are accomplishments of human ingenuity.
Cultural Exploration
In our increasingly interconnected world, numerous travelers aim to comprehend various cultures. Sarnath provides insight into Buddhist culture and, by extension, a significant facet of Indian heritage. I have had enlightening discussions with inquisitive visitors regarding our traditions, rituals, and lifestyle. A young backpacker from Australia once told me, “I came here to see a renowned site, but I’m departing with a richer understanding of an entire culture.”
Spiritual Atmosphere
One of the most compelling reasons non-Buddhists visit Sarnath is its distinctive spiritual ambiance. In today’s fast-moving society, many individuals seek moments of tranquility and contemplation. The peaceful gardens, the soft chanting of monks, and the overall calm environment offer a break from the turmoil of contemporary life. I have witnessed stressed executives find peace here, artists discover inspiration, and troubled individuals seek comfort.
Be a light unto yourself
The most important idea of Buddhist philosophy is, ‘ATMA Deepo Bhava’ i.e. ‘Become your own lamp’. This means that a person should decide for himself the purpose of his life or moral-immoral questions. Buddhist philosophy highlights the nature of mindfulness, compassion, and suffering. This is what attracts non-Buddhist visitors. They may not share our beliefs, but they appreciate gaining insight into our outlook on life and existence.
Philosophical Interest
Buddhist philosophy, which highlights mindfulness, compassion, and the nature of suffering, captivates many non-Buddhist visitors. They may not adhere to our beliefs, but they appreciate gaining insight into our viewpoint on life and existence. I frequently engage in profound conversations with visitors about the Four Noble Truths or the idea of impermanence. A philosophy student from Germany once commented, “These concepts challenge my thinking in ways I never anticipated.”
Educational Significance
For students and researchers, Sarnath functions as an outdoor classroom. It provides essential insights into ancient Indian history, the dissemination of Buddhism, and the development of religious practices in the region.
The Appeal of the Buddhist Circuit
Sarnath is a significant stop on the Buddhist Circuit, a pilgrimage route that links major locations tied to Buddha’s life. Many non-Buddhist tourists traverse this circuit driven by cultural or historical curiosity. It is common to encounter individuals who have just visited Bodh Gaya or are en route to Kushinagar, eager to piece together the narrative of Buddha’s life and teachings.
Pursuit of Inner Tranquility
In my discussions with visitors, I have observed a common theme: a quest for inner tranquility and significance. While they may not seek to convert to Buddhism, many discover that the teachings offered here resonate with their personal journeys. Meditation sessions and dharma discussions frequently draw a varied audience in search of methods for stress relief and self-awareness.
Conclusion
I am heartened to see how Sarnath’s significance transcends religious boundaries. It stands as a testament to human spirituality, architectural brilliance, and cultural richness. Whether they come for historical interest, philosophical insights, or simply a moment of peace, non-Buddhist visitors to Sarnath often leave with more than they expected – a deeper understanding of themselves and the world around them.
In welcoming these diverse visitors, we not only share our heritage but also foster a spirit of global understanding and respect. It is my hope that Sarnath continues to be a place where people of all faiths and backgrounds can come together in the pursuit of knowledge, peace, and self-discovery.
May all sentient beings be happy!
आस्था से परे: गैर-बौद्ध पवित्र स्थल सारनाथ क्यों आते हैं?
सांज्ञे ठिन्ले (बौद्ध भिक्षु)
सारनाथ में लंबे समय तक निवास करने और एक बौद्ध भिक्षु के रूप में मैंने कुछ दिलचस्प अनुभव प्राप्त किए। वर्षों समय व्यतीत करने के दौरान सारनाथ आने वाले आगंतुकों की एक अनोखी प्रवृत्ति देखने-समझने का अवसर मिला। हमारे (बौद्ध) प्रतिष्ठित स्थल पर गैर-बौद्ध आगंतुकों की संख्या लगातार बढ़ती गई। ऐसा तब, जबकि सारनाथ बौद्धों के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थल है। भगवान बुद्ध सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। मैंने महसूस किया है कि इसका आकर्षण हमारे धर्म की सीमाओं से कहीं आगे तक पहुंचता है। इस लेख के जरिए मैं अपने वर्षों के अनुभव और विचार साझा करूंगा। मेरा मकसद ये बताना है कि गैर-बौद्ध इस पवित्र स्थान की ओर क्यों आकर्षित होते हैं?
सारनाथ का ऐतिहासिक महत्व :
दरअसल, सारनाथ की ऐतिहासिक स्वयं में अद्भुत है। इस स्थल से जुड़ा इतिहास और जिज्ञासु मन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं/पर्यटकों को आने को प्रेरित करता है। सारनाथ का इतिहास तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व का है। उत्तर प्रदेश का यह स्थान इतिहास प्रेमियों को खासा आकर्षित करता है। पर्यटकों को अशोक स्तंभ या धमेक स्तूप को निहारते हुए मैंने अक्सर उनके भावों में आश्चर्य देखा। ये संरचनाएं केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारत की वास्तुकला और सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं। इंग्लैंड के एक प्रोफेसर ने एक बार मुझसे कहा था, ‘यहां खड़े होकर मैं इतिहास के महत्व को महसूस कर सकता हूं। यह अतीत से जुड़ने जैसा है।’
स्थापत्य सुंदरता या चमत्कार
सारनाथ की स्थापत्य सुंदरता हमारे मेहमानों को आश्चर्यचकित करता है। धमेक स्तूप, जिसकी ऊंचाई 43.6 मीटर है, आगंतुकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। प्राचीन इंजीनियरिंग कौशल का नायाब नमूना है। मुझे वास्तुकला के छात्रों के एक समूह की याद आ रही है, जिन्होंने इसके डिजाइन का विश्लेषण करने में घंटों समय व्यतीत किए थे। धमेक स्तूप को देखकर वो आश्चर्यचकित थे कि इतने लंबे समय से यह कैसे कायम रहा। कई लोगों के लिए यह स्मारक केवल धार्मिक प्रतीक नहीं, उससे कहीं अधिक है। कुल मिलाकर कहें तो मानवीय सरलता की उपलब्धियां हैं।
सारनाथ: एक सांस्कृतिक खोज
यह दुनिया परस्पर जुड़ी है। दुनिया भर से आने वाले अनगिनत यात्री विभिन्न संस्कृतियों को समझने का प्रयास करते हैं। उनका लक्ष्य सांस्कृतिक विविधता को समझने का प्रयास करना रहता है। सारनाथ, बौद्ध संस्कृति के विस्तार और भारतीय विरासत का एक महत्वपूर्ण पहलू वैश्विक मंच को प्रदान करता है। मैंने जिज्ञासु आगंतुकों के साथ हमारी परंपराओं, रीति-रिवाजों और जीवनशैली के संबंध में ज्ञानवर्धक चर्चाएं की हैं। ऑस्ट्रेलिया के एक युवा बैक पैकर ने एक बार मुझसे कहा था, ‘मैं यहां प्रसिद्ध स्थल देखने आया था, लेकिन मैं पूरी संस्कृति की समृद्ध समझ लेकर लौट रहा हूं।’
आध्यात्मिक वातावरण
गैर-बौद्धों का सारनाथ के प्रति आकर्षण इसके विशिष्ट आध्यात्मिक माहौल की वजह से है। वर्तमान में तेज दौड़ते-भागते समय में कई व्यक्ति शांति और चिंतन के लिए सुकून के क्षण तलाशते हैं। सारनाथ के शांतिपूर्ण उद्यान, भिक्षुओं के मंत्रोच्चार और समग्र शांत वातावरण, जीवन की उथल-पुथल से मुक्ति प्रदान करता है। मैंने देखा है कि तनावग्रस्त लोगों को यहां आकर किस प्रकार शांति मिलती है। कलाकारों को प्रेरणा मिलती है और परेशान व्यक्तियों को राहत के पल प्राप्त होते हैं।
‘अप्प दीपो भवः’
बौद्ध दर्शन का सबसे अहम विचार है, ‘आत्म दीपो भवः’ अर्थात ‘अपने दीपक स्वयं बनो’। इसका मतलब है कि व्यक्ति को अपने जीवन का मकसद या नैतिक-अनैतिक सवालों का फैसला खुद करना चाहिए। बौद्ध दर्शन सचेतन, करुणा और पीड़ा की प्रकृति पर प्रकाश डालता है। यही गैर-बौद्ध आगंतुकों को आकर्षित करता है। वो भले हमारी मान्यताओं का पालन न करें, लेकिन वे जीवन और अस्तित्व पर हमारे दृष्टिकोण में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने की सराहना करते हैं। मैं अक्सर पर्यटकों के साथ चार आर्य सत्यों या नश्वरता के विचार के बारे में गहन बातचीत में संलग्न रहा हूं। जर्मनी के एक दर्शनशास्त्र के छात्र ने एक बार टिप्पणी की थी, ‘ये अवधारणाएं मेरी सोच को उन तरीकों से चुनौती देती हैं जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।’
शैक्षिक महत्व
छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए सारनाथ एक बाह्य कक्षा के रूप में कार्य करता है। यह प्राचीन भारतीय इतिहास, बौद्ध धर्म के प्रसार और क्षेत्र में धार्मिक प्रथाओं के विकास में आवश्यक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
बौद्ध सर्किट
सारनाथ, बौद्ध सर्किट का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। एक ऐसा तीर्थ मार्ग जो बुद्ध के जीवन से जुड़े प्रमुख स्थानों को जोड़ता है। कई गैर-बौद्ध पर्यटक सांस्कृतिक या ऐतिहासिक जिज्ञासा से प्रेरित होकर इस सर्किट से गुजरते हैं। ऐसे व्यक्तियों से मिलना आम है, जो अभी-अभी बोधगया गए हैं या फिर कुशीनगर जा रहे हैं। बुद्ध के जीवन और शिक्षा को एक साथ जोड़ने के लिए उत्सुक हैं।
आंतरिक शांति की तलाश
पर्यटकों के साथ अपनी चर्चाओं में मैंने एक सामान्य विषय देखा- ‘आंतरिक शांति और महत्व की खोज’। हालांकि, वे बौद्ध धर्म में परिवर्तित हों, ऐसी कोशिश जरूरी नहीं, लेकिन आगंतुकों को पता चलता है कि यहां दी जाने वाली शिक्षा उनकी व्यक्तिगत यात्राओं से मेल खाती है। ध्यान सत्र और धर्म चर्चाएं अक्सर तनाव से राहत देती है। आत्म-जागरूकता के तरीकों की तलाश लोगों को अवश्य आकर्षित करती है।
निष्कर्ष
मुझे यह देखकर खुशी होती है, कि कैसे सारनाथ का महत्व धार्मिक सीमाओं से परे है। यह मानव आध्यात्मिकता, वास्तुशिल्प, प्रतिभा और सांस्कृतिक समृद्धि के प्रमाण के रूप में खड़ा है। चाहे वह ऐतिहासिक रुचि, दार्शनिक अंतर्दृष्टि या बस शांति के एक पल के लिए आते हों। सारनाथ आने वाले गैर-बौद्ध पर्यटक अक्सर अपनी अपेक्षा से अधिक अपने आसपास की दुनिया की गहरी समझ के साथ विकसित कर वापस जाते हैं।
हम दुनिया के अलग-अलग जगहों से आने वाले आगंतुकों का स्वागत करते हैं। इससे न केवल इतिहास साझा होता है, बल्कि वैश्विक समझ और सम्मान की भावना को भी बढ़ावा मिलता है। मेरी आशा है कि सारनाथ एक ऐसे स्थान के रूप में विद्यमान रहेगा, जहां सभी धर्मों और पृष्ठभूमियों के लोग ज्ञान, शांति और आत्म-खोज के लिए अनवरत आते रहें।
सभी सत्व सुखी रहें !